उत्तर प्रदेश के संभल जिले से समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने एक बार फिर ‘वंदे मातरम्’ को लेकर विवादित बयान देकर सियासी हलचल मचा दी है. उन्होंने कहा कि वह ‘वंदे मातरम्’ नहीं गाते, क्योंकि इसके कुछ शब्द उनके मजहब के खिलाफ हैं. बर्क के इस बयान ने प्रदेश की राजनीति में नई बहस को जन्म दे दिया है.
उत्तर प्रदेश के संभल जिले से समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने एक बार फिर ‘वंदे मातरम्’ को लेकर विवादित बयान देकर सियासी हलचल मचा दी है. उन्होंने कहा कि वह ‘वंदे मातरम्’ नहीं गाते, क्योंकि इसके कुछ शब्द उनके मजहब के खिलाफ हैं. बर्क के इस बयान ने प्रदेश की राजनीति में नई बहस को जन्म दे दिया है.
बर्क ने कहा कि वह देश के राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ का पूरा सम्मान करते हैं और उसे गाते भी हैं, लेकिन ‘वंदे मातरम्’ राष्ट्रगीत है, जिसे गाने के लिए किसी को बाध्य नहीं किया जा सकता. उनका कहना है कि इस गीत के कुछ शब्द इस्लामिक आस्था के विपरीत हैं, और उनका धर्म केवल एक अल्लाह की इबादत की अनुमति देता है.
‘वंदे मातरम् के कुछ शब्द इस्लाम के खिलाफ’सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने अपने आवास पर मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि “जन गण मन हमारा राष्ट्रगान है, जिसका मैं पूरा सम्मान करता हूं और उसे गाता भी हूं. लेकिन ‘वंदे मातरम्’ राष्ट्रगीत है, और इसके कुछ शब्द इस्लामिक आस्था के खिलाफ हैं. मेरा मजहब केवल एक अल्लाह की इबादत की इजाजत देता है, इसलिए मैं किसी और स्थान को सजदा नहीं कर सकता.”
‘मुल्क से मोहब्बत करता हूं, इबादत नहीं’बर्क ने साफ कहा कि देशप्रेम और धर्म के बीच अंतर समझना जरूरी है. “मैं इस मुल्क की मिट्टी से मोहब्बत करता हूं, वफादार हूं, लेकिन उसकी इबादत नहीं कर सकता. यह मेरा मजहबी और संवैधानिक अधिकार है,”उन्होंने कहा कि सांसद ने आगे कहा कि वह हमेशा राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ के प्रति वफादार रहे हैं क्योंकि उसमें ऐसा कोई शब्द नहीं है जो उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाए.
‘यह व्यक्तिगत नहीं, संवैधानिक फैसला है’बर्क ने अपने बयान का बचाव करते हुए कहा कि “यह मेरा व्यक्तिगत फैसला नहीं है, बल्कि संविधान और सर्वोच्च न्यायालय का भी यही मत है. 1986 में केरल के एक केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि किसी को भी राष्ट्रगीत गाने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता. देशभक्ति को गाने या न गाने से नहीं मापा जा सकता.”
उन्होंने यह भी याद दिलाया कि उनके दादा डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क, जो बसपा से सांसद रहे थे, उन्होंने भी संसद में ‘वंदे मातरम्’ के गायन के दौरान वॉकआउट किया था. उस समय प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती थीं, और उस कदम के बाद राजनीतिक हलकों में बड़ा विवाद हुआ था.
पहले भी मुस्लिम नेताओं के आए ऐसे बयान
इससे पहले पूर्व सांसद डॉ. एस.टी. हसन ने भी इसी तरह का बयान दिया था. उन्होंने कहा था,“मुसलमान अल्लाह के सिवा किसी और की इबादत नहीं कर सकता, इसलिए वह ‘वंदे मातरम्’ नहीं गा सकते.” बर्क के इस ताजा बयान के बाद सियासी गलियारों में एक बार फिर से धर्म और राष्ट्रगीत को लेकर पुरानी बहस तेज हो गई है.
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