दोस्तों आज हम आपको एक ऐसी तिजोरी के बारे में बताने जा रहे हैं जो बेहद बेशकीमती है। यह तिजोरी नॉर्वे में स्थित है। इसका नाम स्वालबार्ड ग्लोबल सीड वॉल्ट (Svalbard Global Seed Vault) है। यह एक बेहद खुफिया जगह पर है। इसकी जानकारी दुनिया में बेहद कम लोगों को है। कहा जाता है ये आर्कटिक में सबसे ऊंचे स्थान पर है। यह एक बर्फीले द्वीपसमूह पर परमाफ्रॉस्ट में गहरी दबी हुई है।
प्रलय के दिन के लिए तैयार की गई है ये तिजोरीअब आप सोच रहे होंगे कि इस तिजोरी में बहुत सारा सोना, हीरा जैसी बेशकिशमती चीजें होंगी। लेकिन नहीं। इसमें इससे भी ज्यादा अहम और कीमती चीज है। इस तिजोरी में दुनिया भर का कृषि उपलब्धियों का भंडार जमा है। इसे आप एक तरह के दुर्घटनाग्रस्त अंतरिक्ष यान जैसा समझ सकते हैं। इसे फ्यूचर के लिए सिक्योरिटी के रूप में बनाया गया है। मतलब यदि कभी दुनिया का विनाश होता है या कोई प्राकृतिक या मानव निर्मित आपदा (युद्ध) आती है तो इस तिजोरी में सभी कृषि संबंधित चीजों के बीज सुरक्षित रहेंगे।
आसान शब्दों में कहे तो इस तिजोरी को “प्रलय का दिन” के लिए बनाया गया है। इसका इस्तेमाल साल 2008 से खाद्य फसलों के बीजों को संग्रहीत करने के लिए होता आ रहा है। यह जगह इतनी खुफिया है कि अधिकतर लोगों नए इसका अंदर का नजारा नहीं देखा है। बस इसकी बाहर के प्रवेश द्वार की कुछ तस्वीरें ही सामने आ पाई है। इस तिजोरी का मुख्य उद्देश्य यही है कि कोई भी बड़ी आपदा आने पर यदि सभी फसलें नष्ट होती है तो उन्हें इसमें रखे बीजों द्वारा पुनर्जीवित किया जा सके।
ये है तिजोरी की खासियतइस तिजोरी को वर्जिन ठोस चट्टान से बनाया गया है। इसमें पहाड़ के अंदर 100 मीटर से अधिक की गहराई पर बीज भंडारण क्षेत्र बनाया गया है। यह तिजोरी 40 से 60 मीटर मोटी चट्टानों की परतों के बीच स्थित है। इसमें जो भी बीज जमा किये जाते हैं उन्हें बीज जमा करने वाली संस्था और नार्वेजियन कृषि और खाद्य मंत्रालय के बीच जमाकर्ता समझौते के मुताबिक जमा किया जाता है। इन्हें कथित “ब्लैक बॉक्स शर्तों” के अंतर्गत डिपाजिट किया जाता है। मतलब इस तिजोरी में रखे बॉक्स और कंटेनर को खोलने की अनुमति नहीं है।
यह सीड वॉल्ट 26 फरवरी 2008 को खोला गया था। इसमें तीन हॉल हैं। इन सभी का आधार लगभग 9.5 x 27 मीटर है। हर हॉल में करीब 1.5 मिलियन बीज के नमूने रखने की क्षमता है। इस तरह इस तिजोरी में 4.5 मिलियन बीज प्राप्तियों को संग्रहीत किया जा सकता है। इसमें अभी तक करीब 900,000 बीज के नमूने रखे हैं। अभी सिर्फ 3 में से एक ही हॉल का इस्तेमाल हुआ है। इस हाल का तापमान माइनस 18 डिग्री सेल्सियस तक ठंडा रखा जाता है।
दरअसल यह तिजोरी जिस पहाड़ में स्थित है उसमें पहले से माइनस 3 और 4 डिग्री सेल्सियस तापमान होता है। लेकिन तिजोरी में एक एक्स्ट्रा कूलिंग सिस्टम भी लगाया गया है। यह सिस्टम यहां का तापमान शून्य से 18 डिग्री सेल्सियस निचे रखने में हेल्प करता है। इस तापमान में बीज लंबे अरसे तक सुरक्षित रहते हैं। वह खराब नहीं होते हैं। इस तिजौरी में एक जनरेटर भी है जो बिजली जाने की स्थिति में काम आता है।
भारत का है तिजोरी पर सबसे ज्यादा हिस्सासबसे खास बात ये है कि इस तिजोरी में बीजों का भंडार रखने वाले देशों की लिस्ट में इंडिया पहले नंबर पर आता है। भारत ने अपनी फ़ूड सिक्योरिटी को मजबूत बनाने के लिए इस तिजोरी में अभी तक रखे कुल बीजों का 15% हिस्सा अपने नाम कर रखा है। मेक्सिको इसमें दूसरे स्थान पर 6.1 प्रतिशत के साथ आता है। वहीं अमेरिका कप 3.8% बीजों के साथ तीसरा स्थान प्राप्त है।
You may also like

अमित शाह ने लालकृष्ण आडवाणी को जन्मदिन की बधाई दी, कहा- श्रीरामजन्मभूमि आंदोलन में निभाई अग्रणी भूमिका

अवैध तमंचे के साथ एक गिरफ्तार...

Pradhan Mantri Mudra Yojana: इन लोगों को नहीं मिलता है योजना का लाभ, नहीं करें आवेदन

AUS vs IND 5th T20I: क्या टीम इंडिया तोड़ेगी गाबा का घमंड? यहां देखिए Match Prediction और Probable Playing XI

संभल में दो पक्षों में हुई मारपीट के मामले में पुलिस ने छह आरोपितों को किया गिरफ्तार





