बिहार चुनाव 2025 के एग्जिट पोल ने राज्य की सियासत में हलचल मचा दी है. ताजा सर्वे के मुताबिक, इस बार महागठबंधन को बहुमत मिलने के आसार हैं, जबकि एनडीए पिछड़ता दिख रहा है. रिपोर्ट के अनुसार, महागठबंधन को 120 से 135 सीटें मिल सकती हैं, वहीं एनडीए को 95 से 110 सीटों तक सीमित बताया गया है. एग्जिट पोल के नतीजों ने नीतीश कुमार और बीजेपी खेमे में चिंता बढ़ा दी है, जबकि तेजस्वी यादव समर्थक जश्न के मूड में हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के एग्जिट पोल में इस बार एक चौंकाने वाला मोड़ देखने को मिला है. जहां लगभग सभी सर्वे एजेंसियां एनडीए को बहुमत में दिखा रही हैं, वहीं ‘जर्नो मिरर’ का एग्जिट पोल बिल्कुल उलटी तस्वीर पेश कर रहा है. इस सर्वे के मुताबिक, महागठबंधन (RJD-कांग्रेस-वाम दल) इस बार सत्ता में वापसी कर सकता है.
‘जर्नो मिरर’ का दावा है कि 243 सीटों वाली बिहार विधानसभा में महागठबंधन को 130 से 140 सीटें, एनडीए को 100 से 110 सीटें, जबकि असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM को 3 से 4 सीटें मिल सकती हैं. अन्य दलों को 0 से 3 सीटें मिलने का अनुमान है. यानी अगर यह अनुमान सही निकला, तो बिहार की राजनीति में एक बड़ा उलटफेर देखने को मिलेगा.
अन्य एग्जिट पोल से बिल्कुल अलग है ‘जर्नो मिरर’ का दावा‘जर्नो मिरर’ का यह सर्वे अन्य सभी प्रमुख एग्जिट पोल्स से एकदम अलग रुझान दिखा रहा है. जहां मैट्रिज पोल ने एनडीए को 147 से 167 सीटें, और महागठबंधन को 70 से 90 सीटें दी हैं, वहीं पीपुल्स पल्स ने एनडीए को 133 से 159 सीटें और महागठबंधन को 75 से 101 सीटें मिलने का अनुमान लगाया है.
इसके विपरीत, ‘जर्नो मिरर’ अकेला ऐसा एग्जिट पोल है जिसने स्पष्ट रूप से कहा है कि तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाला महागठबंधन बहुमत के आंकड़े (122 सीटें) को पार कर जाएगा. सर्वे में दावा किया गया है कि यह रिपोर्ट 38 जिलों के 150 विधानसभा क्षेत्रों में 15,000 से अधिक मतदाताओं की राय के आधार पर तैयार की गई है.
बेरोजगारी, शिक्षा और महंगाई बने निर्णायक मुद्देसर्वे के मुताबिक, इस बार जनता ने विकास, रोजगार और महंगाई जैसे स्थानीय मुद्दों पर वोट किया है. महागठबंधन को बेरोजगारी, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे सवालों पर जनता का मजबूत समर्थन मिला है. दूसरी ओर, एनडीए को सत्ता-विरोधी लहर का सामना करना पड़ा है. ‘जर्नो मिरर’ के आंकड़ों में साफ है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरा इस बार निर्णायक लाभ नहीं दे सका, जबकि तेजस्वी यादव के “हर घर नौकरी” और आर्थिक सहायता जैसे वादों ने युवाओं में उम्मीद की नई लहर जगाई है.
युवाओं और सीमांचल ने बदला समीकरण‘जर्नो मिरर’ सर्वे में यह भी सामने आया है कि 18 से 25 वर्ष के मतदाताओं और मुस्लिम-यादव (MY) समीकरण ने महागठबंधन के पक्ष में रुख किया है. ग्रामीण इलाकों में युवाओं का झुकाव महागठबंधन की ओर रहा. महिलाओं में एनडीए की पकड़ मजबूत रही, लेकिन युवाओं और नए वोटरों ने गेम बदल दिया. सीमांचल, तिरहुत और मगध क्षेत्र में महागठबंधन को बढ़त मिलती दिख रही है. वहीं, चंपारण, पटना और नालंदा बेल्ट में एनडीए ने अपनी पकड़ बनाए रखी है. एआईएमआईएम ने कुछ सीटों पर बना दिया त्रिकोणीय मुकाबला. सर्वे में बताया गया है कि AIMIM सीमांचल की कई सीटों पर मुकाबले को त्रिकोणीय बना रही है, जिससे एनडीए और महागठबंधन दोनों को नुकसान हो सकता है.
You may also like

Mahabharat Katha : मामा शकुनी को जुए में केवल एक व्यक्ति हरा सकता था, युधिष्ठर ने उन्हें वचन में बांधा, परिणाम हुआ द्रौपदी चीरहरण

Tata Curvv और Curvv EV हुई और भी लग्जरी, पीछे बैठने वालों को मिलेगा VIP कंफर्ट

इस्लामाबाद में आतंकी हमले से आगबबूला हुआ पाकिस्तान, अफगानिस्तान की दी सैन्य कार्रवाई की धमकी

दिल्ली बम ब्लास्ट मामले में अब लाल कार की हो रही तलाश, जानें क्या है कनेक्शन

भारत-सऊदी अरब की साझेदारी आपसी विश्वास और साझा समृद्धि पर आधारित : पीयूष गोयल




