नई दिल्ली: एयर इंडिया के उस भयानक क्रैश का एकमात्र जिंदा बचा शख्स आज खुद को ‘सबसे खुशकिस्मत’ भी कहता है और ‘सबसे बदनसीब’ भी. 39 साल के विश्वासकुमार रमेश अब हर दिन दर्द और अकेलेपन से जूझ रहे हैं. उस हादसे ने 241 लोगों की जान ली थी. रमेश ने BBC से बातचीत में कहा, ‘मैं बच गया, पर सब कुछ खो दिया.’ लंदन जा रही बोइंग 787 फ्लाइट अहमदाबाद से टेकऑफ के कुछ सेकंड बाद ही आग का गोला बन गई थी.
आसमान में उठते धुएं और जलते मलबे के बीच, एक शख्स खुद अपने पैरों पर चलता हुआ बाहर आया. ये वही विश्वासकुमार थे. उनका भाई अजय उसी फ्लाइट में कुछ सीट दूर बैठा था. वो नहीं बच सका. विश्वासकुमार ने बीबीसी से बात करते हुए कहा, ‘मैं अकेला जिंदा हूं, अब भी यकीन नहीं होता. ये किसी चमत्कार से कम नहीं. मेरा भाई मेरी रीढ़ था. वो मेरे साथ नहीं है, इसलिए मैं अंदर से टूट चुका हूं.’
‘गुमसुम हो गए हैं रमेश, अकेले बैठे रहते हैं’
हादसे के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनसे मिलने पहुंचे थे. लेकिन तब से उनका जीवन वैसा नहीं रहा. अब वो ब्रिटेन के लीसेस्टर में अपने घर में बंद रहते हैं. उन्होंने कहा, ‘अब मैं किसी से बात नहीं करता. न पत्नी से, न बेटे से. बस अपने कमरे में अकेला बैठा रहता हूं.’
विश्वासकुमार को पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) डायग्नोज हुआ है. उनके सलाहकारों के मुताबिक, वह मानसिक और शारीरिक दोनों तरह से बुरी तरह टूट चुके हैं. ‘जब मैं चलता हूं, सही से चल नहीं पाता. मेरी पत्नी सहारा देती है,’ उन्होंने कहा.
हादसे में उनके पैर, कंधे और पीठ पर गंभीर चोटें आई थीं. अब वो काम नहीं कर पाते, ड्राइव नहीं कर पाते. उनकी मां, जो भारत में हैं, चार महीने से रोज दरवाजे के बाहर बैठी रहती हैं, किसी से बात नहीं करतीं. ‘पूरा परिवार बिखर गया है,’ उन्होंने कहा.
करीब 25 लाख रुपये मिला मुआवजा!
घटना की शुरुआती जांच में सामने आया कि टेकऑफ के तुरंत बाद ईंधन की सप्लाई कट गई थी. इसके कारण दोनों इंजन बंद हो गए और विमान नीचे गिरा. एयर इंडिया की ओर से विश्वासकुमार को 21,500 पाउंड का अंतरिम मुआवजा दिया गया, पर उनके प्रतिनिधियों ने कहा कि ये रकम उनकी तकलीफ और नुकसान के मुकाबले बेहद कम है.
दीव में परिवार का मछली पालन का बिजनेस था. धंधा उनके भाई के साथ चलता था, मगर हादसे के बाद पूरी तरह खत्म हो गया. अब परिवार आर्थिक संकट में है. उनके प्रवक्ता रैड सिगर ने कहा, ‘हमने एयर इंडिया से तीन बार मीटिंग की अपील की, लेकिन या तो जवाब नहीं आया या टाल दिया गया. ये अमानवीय है कि हमें मीडिया के जरिए अपनी बात रखनी पड़ रही है.’
स्थानीय समुदाय के नेता संजीव पटेल ने कहा, ‘जो लोग एयर इंडिया में शीर्ष पदों पर बैठे हैं, उन्हें पीड़ितों से मिलना चाहिए. विश्वासकुमार जैसे लोगों को अकेले नहीं छोड़ा जा सकता. ये सिर्फ मुआवजे की बात नहीं, इंसानियत की बात है.’
एयर इंडिया अब टाटा ग्रुप के अधीन है. एयरलाइन ने बयान जारी कर कहा कि ‘हम पीड़ित परिवारों के संपर्क में हैं और जल्द ही विश्वासकुमार के प्रतिनिधियों से मुलाकात की जाएगी.’ लेकिन विश्वकुमार के शब्दों में, ‘पैसे से दर्द नहीं मिटता. हर रात आंखें बंद करता हूं तो वही आग, वही चिल्लाहट सुनाई देती है. मैं जिंदा हूं, पर वो दिन मेरी हर सांस में जलता रहता है.’
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