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सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला: बिना कोर्ट जाए प्रॉपर्टी से कब्जा हटाने का तरीका

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सुप्रीम कोर्ट का निर्णय


प्रॉपर्टी की कीमतों में वृद्धि के साथ, प्रॉपर्टी पर अवैध कब्जे के मामले भी बढ़ते जा रहे हैं। हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में फैसला सुनाते हुए बताया कि बिना अदालत में जाए भी आप अपनी प्रॉपर्टी से कब्जा कैसे हटवा सकते हैं।


स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट की धारा 5 के तहत अवैध कब्जा हटाने के लिए प्रावधान किया गया है। प्रॉपर्टी विवाद में सबसे पहले स्टे लेना आवश्यक है, ताकि कब्जा करने वाला व्यक्ति उस प्रॉपर्टी पर निर्माण या बिक्री न कर सके।


यदि किसी ने आपके घर या जमीन पर कब्जा कर लिया है, तो आप बिना कोर्ट जाए इसे खाली करा सकते हैं। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने अपना निर्णय सुनाया है।


पूना राम बनाम मोती राम के मामले में, शीर्ष अदालत ने कहा कि कोई भी व्यक्ति दूसरे की संपत्ति पर अवैध तरीके से कब्जा नहीं कर सकता। यदि कोई ऐसा करता है, तो पीड़ित पक्ष स्वयं कब्जा हटवा सकता है, बशर्ते कि वह प्रॉपर्टी का मालिक हो और उसके पास टाइटल हो।


सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि आपके पास प्रॉपर्टी का टाइटल है, तो आप 12 साल बाद भी बलपूर्वक कब्जा हटवा सकते हैं, बिना किसी मुकदमे के।


कानूनी प्रक्रिया

हालांकि, यदि आपके पास प्रॉपर्टी का टाइटल नहीं है और कब्जा 12 साल से अधिक समय से है, तो आपको कोर्ट में केस करना होगा। ऐसे मामलों के लिए स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट 1963 लागू होता है।


स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट की धारा 5 के अनुसार, यदि प्रॉपर्टी आपके नाम है और किसी ने अवैध तरीके से उस पर कब्जा कर लिया है, तो आपको सिविल प्रक्रिया संहिता के तहत मुकदमा दायर करना होगा।


पूना राम बनाम मोती राम का मामला

मामले का विवरण


राजस्थान के बाड़मेर के निवासी पूना राम ने 1966 में एक जागीरदार से जमीन खरीदी थी। जब मालिकाना हक की बात आई, तो पता चला कि मोती राम नामक व्यक्ति ने उस पर कब्जा कर रखा है।


मोती राम के पास जमीन के कोई कानूनी दस्तावेज नहीं थे। पूना राम ने कोर्ट में केस दायर किया, जिसमें ट्रायल कोर्ट ने उसके पक्ष में फैसला सुनाया और मोती राम को कब्जा हटाने का आदेश दिया।


मोती राम ने इस फैसले के खिलाफ राजस्थान हाईकोर्ट में अपील की, जहां हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट का निर्णय पलट दिया। इसके बाद, पूना राम ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की, जिसने उसके पक्ष में फैसला सुनाया।


मोती राम ने दलील दी कि उसने 12 साल से अधिक समय से कब्जा किया हुआ है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि यदि प्रॉपर्टी का कोई मालिक है, तो वह 12 साल बाद भी बलपूर्वक कब्जा हटवा सकता है।


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