शैक्षणिक वर्ष 2026-27 से, स्कूलों में पहली कक्षा में दाखिला लेने के लिए बच्चों की उम्र छह वर्ष से अधिक होनी चाहिए। यह निर्णय राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत फाउंडेशनल स्टेज के पुनर्गठन के संबंध में लिया गया है। शिक्षा निदेशालय ने इस विषय पर एक सर्कुलर जारी किया है, जिसमें बताया गया है कि फाउंडेशनल स्टेज में कक्षाओं की संख्या अब दो से बढ़ाकर तीन कर दी गई है।
वर्तमान में, फाउंडेशनल स्टेज में नर्सरी और केजी कक्षाएं शामिल हैं। पहले, नर्सरी में दाखिले के लिए बच्चों की उम्र तीन वर्ष, केजी के लिए चार वर्ष और पहली कक्षा के लिए पांच वर्ष से अधिक होनी चाहिए थी। अब, फाउंडेशनल स्टेज में कक्षाओं की संख्या बढ़ने के कारण पहली कक्षा में दाखिला लेने के लिए बच्चों की उम्र छह वर्ष से अधिक होनी आवश्यक है।
निदेशालय के अनुसार, नए शैक्षणिक सत्र के लिए नर्सरी (बालवाटिका 1/प्री स्कूल 1) में दाखिले के लिए उम्र तीन से चार वर्ष, लोअर केजी (बालवाटिका 2/प्री स्कूल 2) में चार से पांच वर्ष, अपर केजी (बालवाटिका 3/प्री स्कूल 3) में पांच से छह वर्ष और पहली कक्षा में छह से सात वर्ष तक होनी चाहिए।
निदेशालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि शैक्षणिक सत्र 2025-26 में मौजूदा छात्रों पर ये नए नियम लागू नहीं होंगे। स्कूल नर्सरी से लेकर पहली कक्षा के लिए उम्र में एक महीने की छूट दे सकेंगे। सर्कुलर के अनुसार, यदि किसी छात्र ने मान्यता प्राप्त स्कूल से वैध मार्कशीट के साथ पिछली कक्षा उत्तीर्ण की है, तो उसे अगली कक्षा में दाखिले के लिए उम्र संबंधी मानदंड में छूट दी जाएगी।
शैक्षणिक सत्र 2026-27 में दाखिले के लिए, 31 मार्च 2026 तक कक्षा नर्सरी के लिए तीन वर्ष से अधिक उम्र और कक्षा पहली के लिए छह वर्ष से अधिक उम्र के आधार पर बच्चों को दाखिला दिया जाएगा। इस निर्णय का स्वागत करते हुए, एक्शन कमेटी ऑफ अनएडेड रिकॉग्नाइज्ड प्राइवेट स्कूल के अध्यक्ष भरत अरोड़ा ने कहा कि यह बदलाव बच्चों के समग्र विकास में सहायक होगा।
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