राम अवतार पांडे, जिन्हें माथा पांडे के नाम से भी जाना जाता है, 60 साल पहले उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव परौली से कानपुर आए थे। उस समय उनके पास केवल एक बड़ी थाली थी, जिसमें उनकी पत्नी द्वारा बनाए गए स्वादिष्ट लड्डू थे। आज हम आपको कानपुर के प्रसिद्ध ठग्गू के लड्डू की दिलचस्प कहानी सुनाने जा रहे हैं।
राम अवतार पांडे ने कानपुर की गलियों में लड्डू बेचकर शुरुआत की। धीरे-धीरे उन्होंने पैसे इकट्ठा किए और 1973 में परेड क्षेत्र में एक छोटी सी दुकान खरीदी। हालांकि, कुछ वर्षों बाद दंगों के कारण उनकी दुकान को नुकसान हुआ। लेकिन उनकी किस्मत ने फिर से साथ दिया, जब सरकार ने उन्हें कानपुर के बड़ा चौराहा में एक नई दुकान दी।
1990 से चल रही यह दुकान आज भी सफल है। हालांकि, लोग अक्सर पूछते हैं कि उन्होंने अपनी दुकान का नाम इतना अजीब क्यों रखा। आदर्श, राम अवतार के पोते, बताते हैं कि उनके दादा जी महात्मा गांधी के अनुयायी थे और गांधी जी के एक भाषण में चीनी को 'सफेद जहर' कहा गया था।
इस विचार ने राम अवतार को प्रभावित किया, और उन्होंने अपने ग्राहकों को चीनी के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूक करने के लिए अपनी दुकान का नाम ठग्गू के लड्डू रखा।
राम अवतार पांडे ने महात्मा गांधी से प्रेरित होकर अपनी दुकान का नाम रखा, लेकिन उनकी मार्केटिंग रणनीति भी अद्भुत थी। उनकी दुकान की टैगलाइन 'ऐसा कोई सगा नहीं, जिसको हमने ठगा नहीं' काफी प्रसिद्ध हो गई। उन्होंने अन्य खाद्य पदार्थों के लिए भी दिलचस्प नाम रखे, जैसे पूड़ियों का नाम 'कम्युनिस्ट पूड़ी' और लड्डुओं का नाम 'नेता बाजार के लड्डू' रखा।
आदर्श बताते हैं कि उनके दादा जी का मानना था कि अगर आप सीधे लोगों को सामान नहीं बेच सकते, तो थोड़े ट्विस्ट के साथ बेचने की कोशिश करें। यह कहानी कानपुर के ठग्गू के लड्डू की है, हमें बताएं कि आपको यह कैसी लगी।
You may also like
मुंबई एयरपोर्ट पर अपना आपा खो बैठे जसप्रीत बुमराह, पापाराजी को यूं सुना डाला
जैसलमेर बस हादसा: डीएनए मैच के बाद परिजनों को मिल रहा शव, मुआवजे को लेकर धरना
मानवाधिकार संरक्षण केवल कानूनी दायित्व नहीं, नैतिक और आध्यात्मिक अनिवार्यता भी : कोविंद
जम्मू कश्मीर के युवा अब देश के इतिहास मूल्यों और आकांक्षाओं से गहराई से जुड़ रहे हैं-उपराज्यपाल
प्रॉपर्टी कारोबारी की दोस्तों ने की हत्या, छह फीट गड्ढा खोदकर दफनाया शव