मृतकों के बैंक खातों से पैसे निकालना या लॉकर में रखी वस्तुओं को निकालना कई बार उनके उत्तराधिकारी या परिवार वालों के लिए परेशानी का कारण बन जाते हैं। अब आरबीआई के द्वारा नई गाइडलाइन जारी करके बैंक खाते और लॉकर के दावों को 15 दिन के अंदर निपटान का आदेश जारी किया गया है। यदि बैंकों के द्वारा 15 दिन के अंदर सेटलमेंट नहीं किया जाता है तो देरी के लिए उन्हें जुर्माने का भुगतान करना पड़ेगा।
ग्राहक सेवा की गुणवत्ता में सुधारआरबीआई के द्वारा बैंकों को नई गाइडलाइन जारी करके यह कहा गया है कि नियत समय में ग्राहकों के क्लेम सेटेलमेंट निपटाए जाएं। ताकि ग्राहक सेवा की गुणवत्ता में सुधार हो सके। लेकिन यदि बैंक के द्वारा उत्तराधिकारी या नॉमिनी को बैंक खाते की राशि या लॉकर में रखे सामान देने में देरी की जाती है तो फिर बैंकों को देरी मुआवजा भी देना पड़ेगा।
इस तारीख से लागू हो जाएंगे या नियममृतक के बैंक अकाउंट या लॉकर का सेटलमेंट 15 दिन के अंदर करने का यह नियम 31 मार्च 2000 पहले से लागू हो जाएगा। ताकि मृतक के उत्तराधिकारी या नॉमिनी को क्लेम हासिल करने में परेशानी ना हो। यदि मृतक के बैंक खाते में नॉमिनी का नाम जुड़ा हुआ है तो यह बैंक की जिम्मेदारी बनती है कि नियत समय के भीतर नॉमिनी या सरवाइव वर्क क्लॉस वाले खातों के सेटलमेंट जल्दी किया जाए।
थ्रेशोल्ड लिमिट लिमिट पर दें ध्यानबैंक खाते में जमा राशि थ्रेशोल्ड लिमिट लिमिट यानी 5 लाख से कम है तो बैंकों के द्वारा आसानी से राशि का ट्रांसफर किया जा सकेगा। यदि अमाउंट लिमिट से ज्यादा है तो ऐसे में कानूनी वारिश प्रमाण पत्र या बैंक उत्तराधिकार प्रमाण पत्र की मांग कर सकता है। इसके अलावा मृतक के लॉकर में रखे सामानों के लिए भी आरबीआई ने विस्तृत नियम बनाए हैं।
बैंकों को कब भरना पड़ेगा जुर्मानाजब भी बैंकों के पास क्लेम से जुड़े सभी दस्तावेज प्राप्त हो जाते हैं और उत्तराधिकारी द्वारा सारी प्रक्रियाओं का पालन कर लिया जाता है तो उसके 15 दिन के भीतर बैंकों को लॉकर में रखी वस्तुएं या मृतक के बैंक खाते में जमा राशि को ट्रांसफर करना अनिवार्य है। यदि 15 कैलेंडर दिनों के अंदर यह प्रक्रिया पूरी नहीं की गई तो बैंकों को जुर्माने का भुगतान करना पड़ेगा।
दावों के निपटान की समय सीमा क्या है?
बैंकों को कितना देना पड़ेगा जुर्मानायदि बैंकों के द्वारा सही समय पर उत्तराधिकारियों के खाते में पैसे नहीं ट्रांसफर किए जाते हैं तो बकाया राशि पर 4% वार्षिक ब्याज देना पड़ सकता है। जितनी देरी होगी उतनी अवधि के लिए ब्याज दिया जाएगा। इसके अलावा लॉकर में रखी वस्तुओं के लिए हर दिन की देरी पर 5000 रुपये का मुआवजा देना पड़ सकता है।
ग्राहक सेवा की गुणवत्ता में सुधारआरबीआई के द्वारा बैंकों को नई गाइडलाइन जारी करके यह कहा गया है कि नियत समय में ग्राहकों के क्लेम सेटेलमेंट निपटाए जाएं। ताकि ग्राहक सेवा की गुणवत्ता में सुधार हो सके। लेकिन यदि बैंक के द्वारा उत्तराधिकारी या नॉमिनी को बैंक खाते की राशि या लॉकर में रखे सामान देने में देरी की जाती है तो फिर बैंकों को देरी मुआवजा भी देना पड़ेगा।
इस तारीख से लागू हो जाएंगे या नियममृतक के बैंक अकाउंट या लॉकर का सेटलमेंट 15 दिन के अंदर करने का यह नियम 31 मार्च 2000 पहले से लागू हो जाएगा। ताकि मृतक के उत्तराधिकारी या नॉमिनी को क्लेम हासिल करने में परेशानी ना हो। यदि मृतक के बैंक खाते में नॉमिनी का नाम जुड़ा हुआ है तो यह बैंक की जिम्मेदारी बनती है कि नियत समय के भीतर नॉमिनी या सरवाइव वर्क क्लॉस वाले खातों के सेटलमेंट जल्दी किया जाए।
थ्रेशोल्ड लिमिट लिमिट पर दें ध्यानबैंक खाते में जमा राशि थ्रेशोल्ड लिमिट लिमिट यानी 5 लाख से कम है तो बैंकों के द्वारा आसानी से राशि का ट्रांसफर किया जा सकेगा। यदि अमाउंट लिमिट से ज्यादा है तो ऐसे में कानूनी वारिश प्रमाण पत्र या बैंक उत्तराधिकार प्रमाण पत्र की मांग कर सकता है। इसके अलावा मृतक के लॉकर में रखे सामानों के लिए भी आरबीआई ने विस्तृत नियम बनाए हैं।
बैंकों को कब भरना पड़ेगा जुर्मानाजब भी बैंकों के पास क्लेम से जुड़े सभी दस्तावेज प्राप्त हो जाते हैं और उत्तराधिकारी द्वारा सारी प्रक्रियाओं का पालन कर लिया जाता है तो उसके 15 दिन के भीतर बैंकों को लॉकर में रखी वस्तुएं या मृतक के बैंक खाते में जमा राशि को ट्रांसफर करना अनिवार्य है। यदि 15 कैलेंडर दिनों के अंदर यह प्रक्रिया पूरी नहीं की गई तो बैंकों को जुर्माने का भुगतान करना पड़ेगा।
दावों के निपटान की समय सीमा क्या है?
बैंकों को कितना देना पड़ेगा जुर्मानायदि बैंकों के द्वारा सही समय पर उत्तराधिकारियों के खाते में पैसे नहीं ट्रांसफर किए जाते हैं तो बकाया राशि पर 4% वार्षिक ब्याज देना पड़ सकता है। जितनी देरी होगी उतनी अवधि के लिए ब्याज दिया जाएगा। इसके अलावा लॉकर में रखी वस्तुओं के लिए हर दिन की देरी पर 5000 रुपये का मुआवजा देना पड़ सकता है।
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