नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड की सब्सिडियरी कंपनी भिलाई जयपी सीमेंट के खिलाफ दिवालियापन की प्रोसेस शुरू करने का आदेश दिया है। कंपनी ने अपने ऑपरेशनल क्रेडिटर सिद्धगिरी होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड को कोयले की सप्लाई के एवज में 45 करोड़ रुपए का पेमेंट नहीं किया, जिसके चलते यह कदम उठाया गया।
यह आदेश NCLT के कट्टक बेंच ने दिया, जिसने कंपनी के ऑपरेशनल क्रेडिटर सिद्धगिरी होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड की याचिका को स्वीकार किया। दो सदस्यीय NCLT बेंच ने एक अंतरिम समाधान पेशेवर (IRP) भी नियुक्त किया, कंपनी के बोर्ड को निलंबित करते हुए उसे एसेट्स की बिक्री, दीवानी मुकदमे आदि से सुरक्षा देने वाले मोराटोरियम के तहत रखा, जो कि इन्सॉल्वेन्शी एंड बैंकरप्ट्सी कोड (IBC) के प्रावधानों के तहत किया गया है।
कोयले की खरीद पर कैसे हुआ विवाद?
भिलाई जयपी सीमेंट ने सितंबर 2021 से जून 2022 के बीच सिद्धगिरी होल्डिंग्स से तीन बार 2,000 मीट्रिक टन (कुल 6,000 MT) कोयले का ऑर्डर दिया था। शर्तों के अनुसार, हर डिलीवरी के बाद 15 दिनों में पेमेंट करना था। हालांकि, कंपनी ने इन सप्लाईज पर पूरी रकम नहीं चुकाई और सिर्फ आंशिक पेमेंट ही किया।
कैसे शुरू हुई कानूनी कार्रवाई?
जब कई बार रिमाइंडर देने के बाद भी पेमेंट नहीं हुआ, तो सिद्धगिरी होल्डिंग्स ने 22 जून 2024 को IBC (इन्सॉल्वेन्शी एंड बैंकरप्ट्सी कोड) के तहत एक डिमांड नोटिस भेजा। इसमें कुल 45.40 करोड़ रुपए की मांग की गई, जिसमें 30.08 करोड़ रुपए मूल अमांउट और 15.32 करोड़ रुपए ब्याज (24% वार्षिक दर से) शामिल था। भिलाई जयपी सीमेंट की ओर से कोई जवाब नहीं मिला, जिसके बाद सिद्धगिरी होल्डिंग्स ने IBC की धारा 9 के तहत NCLT में याचिका दायर कर दी।
NCLT ने क्या फैसला सुनाया?
कट्टक स्थित NCLT बेंच ने माना कि कंपनी पर बकाया कर्ज है और वह डिफॉल्ट कर चुकी है। इसलिए उन्होंने कंपनी के खिलाफ कॉरपोरेट इनसॉल्वेंसी रिजोल्यूशन प्रोसेस (CIRP) शुरू करने की मंजूरी दे दी। इस बेंच में दीप चंद्र जोशी और बनवारी लाल मीणा शामिल हैं।
यह आदेश NCLT के कट्टक बेंच ने दिया, जिसने कंपनी के ऑपरेशनल क्रेडिटर सिद्धगिरी होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड की याचिका को स्वीकार किया। दो सदस्यीय NCLT बेंच ने एक अंतरिम समाधान पेशेवर (IRP) भी नियुक्त किया, कंपनी के बोर्ड को निलंबित करते हुए उसे एसेट्स की बिक्री, दीवानी मुकदमे आदि से सुरक्षा देने वाले मोराटोरियम के तहत रखा, जो कि इन्सॉल्वेन्शी एंड बैंकरप्ट्सी कोड (IBC) के प्रावधानों के तहत किया गया है।
कोयले की खरीद पर कैसे हुआ विवाद?
भिलाई जयपी सीमेंट ने सितंबर 2021 से जून 2022 के बीच सिद्धगिरी होल्डिंग्स से तीन बार 2,000 मीट्रिक टन (कुल 6,000 MT) कोयले का ऑर्डर दिया था। शर्तों के अनुसार, हर डिलीवरी के बाद 15 दिनों में पेमेंट करना था। हालांकि, कंपनी ने इन सप्लाईज पर पूरी रकम नहीं चुकाई और सिर्फ आंशिक पेमेंट ही किया।
कैसे शुरू हुई कानूनी कार्रवाई?
जब कई बार रिमाइंडर देने के बाद भी पेमेंट नहीं हुआ, तो सिद्धगिरी होल्डिंग्स ने 22 जून 2024 को IBC (इन्सॉल्वेन्शी एंड बैंकरप्ट्सी कोड) के तहत एक डिमांड नोटिस भेजा। इसमें कुल 45.40 करोड़ रुपए की मांग की गई, जिसमें 30.08 करोड़ रुपए मूल अमांउट और 15.32 करोड़ रुपए ब्याज (24% वार्षिक दर से) शामिल था। भिलाई जयपी सीमेंट की ओर से कोई जवाब नहीं मिला, जिसके बाद सिद्धगिरी होल्डिंग्स ने IBC की धारा 9 के तहत NCLT में याचिका दायर कर दी।
NCLT ने क्या फैसला सुनाया?
कट्टक स्थित NCLT बेंच ने माना कि कंपनी पर बकाया कर्ज है और वह डिफॉल्ट कर चुकी है। इसलिए उन्होंने कंपनी के खिलाफ कॉरपोरेट इनसॉल्वेंसी रिजोल्यूशन प्रोसेस (CIRP) शुरू करने की मंजूरी दे दी। इस बेंच में दीप चंद्र जोशी और बनवारी लाल मीणा शामिल हैं।
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