तेल की वैश्विक कीमतों में संभावित उछाल को देखते हुए सरकार कच्चे तेल के भंडार (Strategic Oil Reserves) को बढ़ाने की तैयारी में चल रहा है। जून में कच्चा तेल 76 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच चुका था, और अब अंतरराष्ट्रीय बाजार में नई उथल-पुथल की आशंका जाताई जा रही है। बड़े तेल प्रड्यूसर देशों से आपूर्ति कम होती जा रही है और अमेरिका द्वारा सभी रूस की बड़ी कंपनियों रोसनेफ्ट और लुकोइल पर प्रतिबंध लगा रहा है। ऐसे समय में भारत अपनी एनर्जी सेविंग को और मजबूत करने की तैयारी में लगा है। मई में तेल की कीमत चार साल के न्यूनतम स्तर 60 डॉलर प्रति बैरल पर थी, जो जून में बढ़कर ऊपर चली गई। बता दे कि ब्रेंट क्रूड अभी तक 65 डॉलर प्रति बैरल से नीचे कारोबार कर रहा है।तेल की कीमतें फिलहाल कम हैं, इसलिए भारत इस मौके का फायदा उठाकर अपने रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार को भरने और और विस्तार देने की तैयारी में है।
भारत में दो और तेल भंडार बनाने की योजना है
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, दो सूत्रों के अनुसार भारत सस्ते कच्चे तेल के मौजूदा दौर का फायदा उठाकर अपने रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार को बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है। एक सूत्र ने बताया कि अभी कीमतें कम हैं, इसलिए तेल भंडार बढ़ाने की कोशिश की जा रही है, ताकि भविष्य में ऊर्जा सुरक्षा बनी रहे। फिलहाल तेल की उपलब्धता को लेकर कोई चिंता नहीं है, लेकिन आगे कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका है। दूसरे सूत्र के मुताबिक, पिछले कुछ महीनों में सरकार और इंडियन स्ट्रैटेजिक पेट्रोलियम रिज़र्व्स लिमिटेड (ISPRL) खरीद प्रक्रिया को तेज़ी से आगे बढ़ा रहे हैं। संसद की एक समिति की रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर 2024 तक भारत की भंडारण क्षमता 5.3 मिलियन टन है, लेकिन अंडरग्राउंड कैवर्न्स में फिलहाल केवल 3.6 मिलियन टन तेल भरा हुआ है। वर्तमान में भारत के पास तीन स्थानों पर तेल भंडार हैं, जबकि दो नए भंडारण केंद्र बनाने की योजना पर काम चल रहा है। इन केंद्रों के तैयार हो जाने पर देश की कुल भंडारण क्षमता दोगुने से अधिक हो जाएगी।
बढ़ सकती है तेल की कीमत
आपको बता दे कि पेट्रोलियम मंत्रालय और Indian Strategic Petroleum Reserves Limited (ISPRL) ने फिलहाल इसपर किसी भी तरह की जानकारी नहीं दी है।ISPRL के पूर्व MD और CEO एचपीएस अहूजा ने बताया कि रणनीतिक भंडार किसी बड़े जियोपॉलिटिकल टेंशन में काम आते हैं। कीमतें कम होने पर रणनीतिक भंडार भर लिया जाता है। खरीदारी तेज करने के लिए सरकारी तेल कंपनियां ISPRL की ओर से अधिक तेल खरीद सकती हैं। ISPRL, सरकार की कंपनी है, जो तेल खरीदती और भंडारित करती है, और इस संबंध में अंतिम फैसला एक सशक्त सरकारी समिति लेती है। सरकारी तेल कंपनियां खरीदारी में मदद करती हैं और इसके लिए पैसा सरकार देती है। रेटिंग एजेंसी ICRA के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट प्रशांत वशिष्ठ के अनुसार, 21 नवंबर से रूस की कंपनियों पर प्रतिबंधों के कारण आपूर्ति कम हो जाएगी और वैश्विक तेल कीमतें बढ़ेंगी। पहले से ही कीमतों में हल्की बढ़ोतरी नजर आ रही है क्योंकि रूसी तेल पर मिलने वाली छूट घट रही है।
क्या है एक्सपर्ट्स के राय
विशेषज्ञ मानते हैं कि तेल की कीमतें जल्द महंगी हो सकती हैं। इसकी पहली वजह यह है कि भारतीय रिफाइनरियां और अन्य खरीदार 21 नवंबर से रूसी तेल कम लेंगे, क्योंकि अमेरिका ने प्रतिबंध लगाए हैं, जिससे बाजार में प्रभावी आपूर्ति घटेगी। दूसरी वजह ओपेक प्लस का हालिया निर्णय है। इस समूह ने दिसंबर के लिए रोजाना 1,37,000 बैरल उत्पादन बढ़ाने का ऐलान किया है, लेकिन जनवरी से मार्च 2026 तक उत्पादन वृद्धि रोक दी है। 2 नवंबर को ओपेक के बयान के अनुसार, मौसम के कारण आठ देशों ने जनवरी-फरवरी-मार्च में उत्पादन बढ़ाने से इंकार किया है, जिससे आपूर्ति और सख्त होगी और कीमतों में बढ़ोतरी का दबाव रहेगा।
भारत में दो और तेल भंडार बनाने की योजना है
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, दो सूत्रों के अनुसार भारत सस्ते कच्चे तेल के मौजूदा दौर का फायदा उठाकर अपने रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार को बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है। एक सूत्र ने बताया कि अभी कीमतें कम हैं, इसलिए तेल भंडार बढ़ाने की कोशिश की जा रही है, ताकि भविष्य में ऊर्जा सुरक्षा बनी रहे। फिलहाल तेल की उपलब्धता को लेकर कोई चिंता नहीं है, लेकिन आगे कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका है। दूसरे सूत्र के मुताबिक, पिछले कुछ महीनों में सरकार और इंडियन स्ट्रैटेजिक पेट्रोलियम रिज़र्व्स लिमिटेड (ISPRL) खरीद प्रक्रिया को तेज़ी से आगे बढ़ा रहे हैं। संसद की एक समिति की रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर 2024 तक भारत की भंडारण क्षमता 5.3 मिलियन टन है, लेकिन अंडरग्राउंड कैवर्न्स में फिलहाल केवल 3.6 मिलियन टन तेल भरा हुआ है। वर्तमान में भारत के पास तीन स्थानों पर तेल भंडार हैं, जबकि दो नए भंडारण केंद्र बनाने की योजना पर काम चल रहा है। इन केंद्रों के तैयार हो जाने पर देश की कुल भंडारण क्षमता दोगुने से अधिक हो जाएगी।
बढ़ सकती है तेल की कीमत
आपको बता दे कि पेट्रोलियम मंत्रालय और Indian Strategic Petroleum Reserves Limited (ISPRL) ने फिलहाल इसपर किसी भी तरह की जानकारी नहीं दी है।ISPRL के पूर्व MD और CEO एचपीएस अहूजा ने बताया कि रणनीतिक भंडार किसी बड़े जियोपॉलिटिकल टेंशन में काम आते हैं। कीमतें कम होने पर रणनीतिक भंडार भर लिया जाता है। खरीदारी तेज करने के लिए सरकारी तेल कंपनियां ISPRL की ओर से अधिक तेल खरीद सकती हैं। ISPRL, सरकार की कंपनी है, जो तेल खरीदती और भंडारित करती है, और इस संबंध में अंतिम फैसला एक सशक्त सरकारी समिति लेती है। सरकारी तेल कंपनियां खरीदारी में मदद करती हैं और इसके लिए पैसा सरकार देती है। रेटिंग एजेंसी ICRA के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट प्रशांत वशिष्ठ के अनुसार, 21 नवंबर से रूस की कंपनियों पर प्रतिबंधों के कारण आपूर्ति कम हो जाएगी और वैश्विक तेल कीमतें बढ़ेंगी। पहले से ही कीमतों में हल्की बढ़ोतरी नजर आ रही है क्योंकि रूसी तेल पर मिलने वाली छूट घट रही है।
क्या है एक्सपर्ट्स के राय
विशेषज्ञ मानते हैं कि तेल की कीमतें जल्द महंगी हो सकती हैं। इसकी पहली वजह यह है कि भारतीय रिफाइनरियां और अन्य खरीदार 21 नवंबर से रूसी तेल कम लेंगे, क्योंकि अमेरिका ने प्रतिबंध लगाए हैं, जिससे बाजार में प्रभावी आपूर्ति घटेगी। दूसरी वजह ओपेक प्लस का हालिया निर्णय है। इस समूह ने दिसंबर के लिए रोजाना 1,37,000 बैरल उत्पादन बढ़ाने का ऐलान किया है, लेकिन जनवरी से मार्च 2026 तक उत्पादन वृद्धि रोक दी है। 2 नवंबर को ओपेक के बयान के अनुसार, मौसम के कारण आठ देशों ने जनवरी-फरवरी-मार्च में उत्पादन बढ़ाने से इंकार किया है, जिससे आपूर्ति और सख्त होगी और कीमतों में बढ़ोतरी का दबाव रहेगा।
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