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बोट पर धमाका करके माउंटबेटन की हत्या करने की साज़िश कैसे रची गई थी?- विवेचना

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Getty Images 20 फरवरी 1947 को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री क्लेमेंट एटली ने लॉर्ड माउंटबेटन को भारत का वायसरॉय और गवर्नर-जनरल नियुक्त किया था.

लॉर्ड माउंटबेटन को आख़िरी समय तक विश्वास नहीं था कि वो कभी बूढ़े भी हो सकते हैं. पूरी उम्र उन्हें कोई बड़ी बीमारी नहीं हुई सिवाय मामूली ज़ुकाम के.

70 की उम्र पार कर जाने के बावजूद जब भी वो ब्रॉडलैंड में होते थे, सुबह दो घंटे तक घुड़सवारी ज़रूर करते थे.

ये ज़रूर है कि अपने जीवन के आख़िरी समय में उन्होंने अपना पसंदीदा खेल पोलो खेलना छोड़ दिया था, क्योंकि वो पहले जैसे फ़ुर्तीले नहीं रह गए थे.

थक जाने पर या बोर हो जाने पर उन्हें अक्सर ऊँघते हुए देखा जाता था लेकिन तब भी ज़िंदगी जीने के उनके जज़्बे में कोई कमी नहीं आई थी.

माउंटबेटन हमेशा से अपने परिवार को तरजीह देते आए थे. हर क्रिसमस में उनकी बेटियाँ और नाती ब्रॉडलैंड में जमा होते थे.

ईस्टर पर ब्रेबोर्न पर उनका जमावड़ा लगता था. अपनी गर्मियाँ वो अक्सर आयरलैंड में क्लासीबॉन में बिताया करते थे.

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ब्रायन होई अपनी किताब 'माउंटबेटन द प्राइवेट स्टोरी' में लिखते हैं, "माउंटबेटन की हमेशा अपने नातियों के दोस्तों और उनकी लव लाइफ़ के बारे में जानने की दिलचस्पी रहती थी."

वे लिखते हैं, "उनके नाती की एक गर्लफ़्रेंड ने मुझे बताया था कि वो अपने परिवार के हर मामले में दख़ल देते थे लेकिन तब भी वो उन्हें प्यार और सम्मान मिलता था."

"उनके साथ बैठना मज़ेदार होता था. वो ज़बरदस्त फ़्लर्ट करते थे लेकिन कोई उसका बुरा नहीं मानता था."

बच्चों के साथ उनके जुड़ाव का एक कारण ये भी था कि उनका ख़ुद का स्वभाव बच्चों की तरह था.

उनके नाती माइकल जॉन बताते थे, "उनकी हँसी ग़ज़ब की थी. वो हमारे साथ बैठकर चार्ली चैप्लिन की फ़िल्मों को देख कर हँसते-हँसते लोटपोट हो जाते थे."

"हालांकि वो फ़िल्म उन्होंने पहले कई बार देखी हुई होती थी. लॉरेल और हार्डी की फ़िल्मों को भी वो बहुत पसंद करते थे."

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आईआरए के निशाने पर थे माउंटबेटन image Getty Images माउंटबेटन अपने परिवार को बहुत प्यार करते थे

हालांकि रिटायर होने के बाद माउंटबेटन एक सामान्य जीवन जी रहे थे लेकिन प्रशासन को कहीं-न-कहीं अंदाज़ा था कि उनके जीवन को ख़तरा है.

सन 1971 में ही उनकी सुरक्षा के लिए 12 पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई गई थी.

अपने जीवनीकार फ़िलिप ज़िगलर को दिए इंटरव्यू में माउंटबेटन ने खुद स्वीकार किया था, "सरकार को डर है कि आईआरए मेरा अपहरण कर उनका इस्तेमाल उत्तरी आयरलैंड में बंद अपने कुछ साथियों को छुड़ाने में कर सकता है."

एंड्रयू लोनी ने अपनी किताब 'माउंटबेटंस देयर लाइव्स एंड लव्स' में लिखा था, "आईआरए के एक सेफ़ हाउज़ पर मारे गए छापे के बाद पता चला था कि आईआरए जिन 50 लोगों को मारना चाहता था उसमें माउंटबेटन का भी नाम था."

image BBC

रॉयल मिलिट्री पुलिस के एक अधिकारी ग्राहम योएल ने एंड्रयू लोनी को बताया था, "अगस्त, 1976 में माउंटबेटन को गोली मारने का प्रयास इसलिए नाकाम हो गया था क्योंकि उफ़नते समुद्र की वजह से आईआरए का निशानेबाज़ माउंटबेटन पर सटीक निशाना नहीं लगा पाया था."

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माउंटबेटन पर रखी जा रही थी नज़र image BLINK लॉर्ड माउंटबेटन, स्वतंत्र भारत के पहले गवर्नर-जनरल भी रहे.

मार्च, 1979 में नीदरलैंड्स में ब्रिटिश राजदूत सर रिचर्ड साइक्स और एक सांसद एरिक नीव को आईआरए ने गोली मार दी थी.

जून में आईआरए ने बेल्जियम में नेटो के प्रमुख जनरल एलेक्ज़ेंडर हेग की हत्या का भी प्रयास किया था जिसमें वो बाल-बाल बच गए थे.

इन घटनाओं के बाद ही पुलिस के चीफ़ सुपरिटेंडेंट डेविड बिकनेल ने माउंटबेटन को सलाह दी थी कि वो आयरलैंड न जाएं. इसके जवाब में माउंटबेटन ने कहा था, 'आयरिश लोग मेरे दोस्त हैं.'

इस पर बिकनेल ने उनसे कहा था, 'सभी आयरिश लोग आपके दोस्त नहीं हैं.'

बिकनेल की सलाह पर वो भरी हुई पिस्तौल साथ रखकर सोने लगे थे.

एंड्रयू लोनी लिखते हैं, "जुलाई, 1979 में ग्राहम योएल ने माउंटबेटन के जोखिम का आकलन करते वक्त बताया था कि माउंटबेटन की नौका 'शैडो फ़ाइव' उनके लिए ख़तरनाक हो सकती है क्योंकि उस पर रात में कोई भी शख़्स चुपचाप सवार हो सकता था."

"उनको इस बात की चिंता थी कि बेलफ़ास्ट में रजिस्टर की गई एक कार को कई बार समुद्र के किनारे आते देखा गया था. एक बार योएल ने दूरबीन से कार में बैठे लोगों को देखने की कोशिश की थी."

योएल ने देखा था कि एक शख़्स दूरबीन से माउंटबेटन की नौका को देख रहा था. वो उस समय उस नौका से करीब 200 गज़ दूर रहा होगा."

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सुरक्षाकर्मी माउंटबेटन की बोट पर नहीं गया image Getty Images विभाजन पर आधारित किताबों, डॉक्यूमेंट्री और फिल्मों में लॉर्ड माउंटबेटन का ज़िक्र अक्सर आता है.

योएल की रिपोर्ट पर ध्यान नहीं दिया गया. उनके हाथ से माउंटबेटन की सुरक्षा को लेकर आयरिश पुलिस को सौंप दी गई. 27 अगस्त, 1979 के दिन पूरे ब्रिटेन में छुट्टी थी.

कई दिनों की बारिश के बाद जब सूरज निकला तो नाश्ते पर माउंटबेटन ने अपने परिवार से पूछा कि उनमें से कौन उनके साथ 'शैडो फ़ाइव' बोट पर सैर के लिए जाना पसंद करेगा?

जेटी पर जाने से पहले माउंटबेटन ने उनकी सुरक्षा के लिए लगाए लोगों को अपना प्लान बताया.

दूरबीन और रिवॉल्वर लिए सुरक्षाकर्मियों ने जेटी पर अपनी फ़ोर्ड एस्कॉर्ट कार पार्क की.

उनमें से एक सुरक्षाकर्मी को समुद्र की लहरों से उल्टियाँ होने लगती थी. माउंटबेटन ने उसे सलाह दी कि उसे बोट पर उनके साथ आने की ज़रूरत नहीं है.

ब्रायन होए अपनी किताब 'माउंटबेटन द प्राइवेट स्टोरी' में लिखते हैं, "माउंटबेटन अपने पुराने पोत 'एचएमएस केली' की एक जर्सी पहने हुए थे जिस पर लिखा था 'द फ़ाइटिंग फ़िफ़्थ'.

इससे पहले उनके परिवार ने उन्हें ये जर्सी पहने कभी नहीं देखा था. नौका में बैठते ही माउंटबेटन ने उसका कंट्रोल संभाल लिया था.

डेक के नीचे एक बम रखा हुआ था जिसके बारे में बाद मे आईआरए ने दावा किया था कि उसमें करीब 20 किलो प्लास्टिक विस्फोटक था.

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माउंटबेटन की बोट पर दूरबीन से नज़र image SIDJWICK & JACKSON लॉर्ड माउंटबेटन

साढ़े 11 बजे 'शेडो फ़ाइव' बोट ने चलना शुरू किया. सुरक्षाकर्मी तट के किनारे बनी सड़क पर अपनी कार में चलते हुए दूरबीन से नौका पर नज़र रखे हुए थे.

उससे थोड़ा आगे दो जोड़ी आँखों की नज़र भी उस नौका पर लगी हुई थीं. ये आँखे थीं प्रोविजनल आईआरए के सदस्यों की.

ब्रायन होए लिखते हैं, ''आईआरए के लोग साफ़ देख सकते थे कि नौका पर एक बूढ़ी महिला बैठी हुई थी. तीन युवा लोग नौका के बीचोंबीच बैठे हुए थे और लॉर्ड माउंटबेटन नौका को चला रहे थे."

"एक हत्यारे के पास एक रिमोट कंट्रोल उपकरण था जिससे वो नौका पर रखे बम का धमाका करने वाला था."

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बोट पर धमाका image Getty Images आईआरए- एक आयरिश सशस्त्र संगठन था, जिसका मुख्य उद्देश्य आयरलैंड को ब्रिटिश शासन से पूरी तरह आज़ाद कराना था.

ठीक 11 बजकर 45 मिनट पर जब 'शेडो फ़ाइव' बोट को जेटी से निकले 15 मिनट ही हुए थे, एक हत्यारे ने रिमोट कंट्रोल बटन दबाया.

नौका में रखे करीब 20 किलो विस्फोटक में ज़बरदस्त धमाका हुआ और बोट के परखच्चे उड़ गए.

माउंटबेटन की बेटी पैट्रीशिया ने याद किया, "मैं अपनी सास लेडी ब्रेबोर्न की तरफ़ मुड़ कर कह रही थी, साथ-साथ मैं न्यू स्टेट्समैन का ताज़ा अंक भी पढ़ रही थीं."

"मेरी आँखें उसे पढ़ने के लिए नीचे झुकी हुई थीं. शायद यही वजह थी कि जब विस्फोट हुआ तो मेरी आँखों को बहुत कम नुकसान पहुंचा."

वे बताती हैं, "मुझे याद है कि मेरे पिता के पैरों के पास टेनिस के आकार की कोई चीज़ थी जिससे बहुत तेज़ रोशनी आ रही थी. मुझे सिर्फ़ इतना याद है कि अगले क्षण मैं पानी में गिरी थी और उसमें बार-बार डुबकियाँ लगा रही थी."

लॉर्ड माउंटबेटन के दामाद लॉर्ड ब्रेबोर्न बोट के बीचों बीच खड़े हुए थे. जब विस्फोट हुआ तो उनके जिस्म का एक हिस्सा उसकी चपेट में आया लेकिन उनका चेहरा पूरी तरह से बच गया.

विस्फोट से कुछ सेकेंड पहले उन्होंने अपने ससुर से कहा था, 'आपको मज़ा आ रहा है? है न ?'

माउंटबेटन के कानों में पड़े शायद ये आख़िरी शब्द थे.

लॉर्ड ब्रेबोर्न ने याद किया, "अगले ही क्षण मैं पानी में गिरा पड़ा था और मुझे बेइंतहा ठंड लग रही थी. मुझे ये भी याद नहीं है कि मुझे किस तरह बचाया गया था."

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माउंटबेटन का शव मिला image Getty Images विस्फोट के बाद माउंटबेटन की क्षत-विक्षत नौका

नौका के मलबे से कुछ गज़ दूर माउंटबेटन का शव पाया गया.

एंड्रयू लोनी लिखते हैं, "उनके पैर उनके शरीर से करीब-करीब अलग हो चुके थे. उनके जिस्म के सारे कपड़े फट चुके थे सिवा एक पूरी बाँह की जर्सी के जिस पर उनके पुराने पोत 'एचएमएस केली' का नाम लिखा हुआ था."

वे लिखते हैं, "उनकी उसी समय मृत्यु हो गई थी. लोगों की नज़र से बचने के लिए एंबुलेंस आने तक उनके पार्थिव शरीर को एक किश्ती में रखा गया."

बाद में संयोग से उस समय वहाँ मौजूद डाक्टर रिचर्ड वॉलेस ने याद किया, "जब हमने धमाके की आवाज़ सुनी तो हमें ये नहीं लगा कि ये बम हो सकता है."

"जब हम घटनास्थल पर पहुंचे तो हमने देखा कि बहुत से लोग पानी में गिरे हुए थे. हमारा पहला काम था ज़िंदा लोगों को मृतकों से अलग करना."

वे बताते हैं, "डॉक्टर के तौर पर हमारा कर्तव्य था कि हम मृतकों के बजाय ज़िंदा बचे हुए लोगों पर अपना ध्यान केंद्रित करें. जब हम माउंटबेटन के शव के साथ जेटी पर पहुंचे तो बहुते से लोग हमारी मदद करने के लिए आगे आ गए."

डॉक्टर वैलेस ने बताया, "एक दरवाज़े को तोड़कर एक कामचलाऊ स्ट्रेचर बनाई गई और महिलाओं ने चादर फाड़कर उनकी पट्टियाँ बना दी ताकि उससे घायलों की चोट को तुरंत ढँका जा सके."

"जब हम माउंटबेटन के पार्थिव शरीर को तट पर लाए तो मैंने देखा कि उनका चेहरा क्षत-विक्षत नहीं हुआ था. उनके शरीर पर कई जगह कटने और चोट के निशान थे लेकिन उनका चेहरा बिल्कुल साफ़ था."

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माउंटबेटन की विदाई image Getty Images माउंटबेटन के पार्थिव शरीर को तट पर लाते हुए सुरक्षाकर्मी

उनकी मृत्यु का समाचार मिलते ही दिल्ली में सारे सरकारी दफ़्तर और दुकानें बंद कर दी गईं. भारत में उनके सम्मान में सात दिन के राजकीय शोक की घोषणा की गई.

उनके जीवनीकार रिचर्ड हाओ ने अपनी किताब 'माउंटबेटन हीरो ऑफ़ अवर टाइम' में लिखा, "ये एक विचित्र संयोग था कि उनके मित्र महात्मा गांधी की तरह उनकी हत्या भी एक संघर्षग्रस्त देश में हुई. मृत्यु के समय दोनों की उम्र थी 79 वर्ष."

5 सितंबर, 1979 को वेस्टमिंस्टर एबी में 1400 लोगों के सामने उनका अंतिम संस्कार किया गया. इन लोगों में ब्रिटेन की महारानी, राजकुमार चार्ल्स, यूरोप के कई राजा, प्रधानमंत्री मारग्रेट थैचर और चार पूर्व प्रधानमंत्री मौजूद थे.

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आईआरए ने ली ज़िम्मेदारी image Getty Images 1990 के दशक में आईआरए ने बातचीत शुरू की.

थोड़ी देर बाद प्रोविजनल आईआरए ने एक वक्तव्य जारी कर कहा कि वह माउंटबेटन को मारने की ज़िम्मेदारी लेता है.

आईआरए ने कभी स्पष्ट नहीं किया कि 79 वर्ष के वृद्ध को उसके परिवार के साथ मारने को कैसे जायज़ ठहराया जा सकता है?

माउंटबेटन के जीवनीकार फ़िलिप ज़ीगलर लिखते हैं, "माउंटबेटन की हत्या के साथ-साथ उसी दिन आयरलैंड में 18 ब्रिटिश सैनिकों का मारा जाना बताता है कि ये फ़ैसला आईआरए के उच्च स्तर पर लिया गया था."

आईआरए ने अपने बुलेटिन में कहा, "इसका उद्देश्य ब्रिटिश लोगों का हमारे देश पर जारी कब्ज़े की तरफ़ ध्यान खींचना था."

"माउंटबेटन को हटाकर हम ब्रिटिश शासक वर्ग को बताना चाहते हैं कि हमारे साथ लड़ाई की उन्हें बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी."

माउंटबेटन की हत्या के बाद आईआरए की मुहिम को मिलने वाले जनसमर्थन में कमी आई थी.

उसी समय ब्रिटेन की प्रधानमंत्री बनी मारग्रेट थैचर ने आईआरए को राजनैतिक संगठन के बजाए एक आपराधिक संगठन घोषित कर दिया.

ब्रिटिश प्रधानमंत्री मारग्रेट थैचर ने आईआरए के लड़ाकों को दिया गया युद्धबंदी का दर्जा भी वापस ले लिया था.

मैकमैहन को आजीवन कारावास image Getty Images माउंटबेटन की हत्या के समय मारग्रेट थैचर ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थीं

बम विस्फोट होने के कुछ घंटों के भीतर आयरलैंड की पुलिस ने हत्यारों को पकड़ने के लिए अपने इतिहास की सबसे बड़ी जाँच शुरू की.

अंतत: दो व्यक्तियों, 24 वर्षीय फ्रांसिस मैकगर्ल और प्रोविजनल आईआरए के 31 वर्षीय थॉमस मैकमैहन को गिरफ़्तार किया गया.

उन दोनों के खिलाफ़ परिस्थितिजन्य सबूत ही पाए गए. दोनों के पास जेलिगनाइट और माउंटबेटन की नौका 'शैडो फ़ाइव' के हरे पेंट के कुछ अंश मिले.

23 नवंबर,1979 को तीन जजों की पीठ ने मैकगर्ल को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया. मैकमैहन को दो सबूतों के आधार पर माउंटबेटन की हत्या का दोषी पाया गया.

image Getty Images थॉमस मैकमैहन, जिन्हें माउंटबेटन की हत्या के लिए आजीवन कारावास की सजा दी गई.

हरे पेंट और नाइट्रोग्लिसरीन के कुछ अंश मिलने पर अदालत ने माना कि उसने ही माउंटबेटन की बोट में बम प्लांट किया था. हालांकि विस्फोट के समय वो घटनास्थल से 70 मील दूर पुलिस की हिरासत में था.

थॉमस मैकमैहन को आजन्म कारावास की सज़ा सुनाई गई. लेकिन उसे सन 1998 में 'गुड फ़्राइडे' समझौते के तहत रिहा कर दिया गया. उसने कुल 19 वर्ष ब्रिटिश जेल में बिताए.

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.

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