पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो ज़रदारी ने कहा है कि सिंधु जल संधि का निलंबन 'पाकिस्तान के लिए सज़ा नहीं बल्कि मानवता के ख़िलाफ़ अपराध' है.
मंगलवार को नेशनल असेंबली में पहलगाम हमले के संबंध में भारत द्वारा उठाए गए क़दमों के बारे में बोलते हुए बिलावल भुट्टो ने कहा कि भारत ने हमले के तुरंत पाकिस्तान पर आरोप लगाना शुरू कर दिया, सीमाएं बंद कर दीं और परिणाम भुगतने की धमकी दी.
सिंधु जल संधि के निलंबन के बारे में बिलावल भुट्टो ने कहा, "सिंधु नदी न केवल हमारी भूमि से होकर बल्कि हमारी नसों से भी होकर बहती है. अब भारत ने इस नदी को रोकने की धमकी दी है."
उन्होंने कहा, "यह पानी का राजनीतिकरण है, यह प्रकृति के ख़िलाफ़ अपराध है, यह कितना पागलपन है कि आप लाखों लोगों के भोजन और आजीविका को ख़तरे में डाल रहे हैं, वह भी उस अपराध के लिए जो आपकी अपनी सीमाओं के भीतर हुआ है."

पहलगाम हमले के बाद 23 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी (सीसीएस) की बैठक हुई थी.
इस बैठक में कई अहम फ़ैसले लिए गए थे, जिसमें पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया गया. इसके साथ ही अटारी बॉर्डर को भी बंद करने का फ़ैसला किया गया.
भारत ने कहा, सिंधु जल संधि को निलंबित किए जाने का फ़ैसला तब तक लागू रहेगा जब तक पाकिस्तान विश्वसनीय ढंग से सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देना बंद नहीं कर देता.
अब ऐसी रिपोर्ट्स और सामने आए हैं जिनमें जम्मू के रामबन में चिनाब नदी पर बने बगलिहार बांध के सभी फाटक बंद दिख रहे हैं.
समाचार एजेंसी के अनुसार, भारत इसी तरह से उत्तरी कश्मीर में झेलम नदी पर बने किशनगंगा बांध के फाटक बंद करने की योजना बना रहा है.
बिलावल भुट्टो ने कहा, "यह नदी भारतीय आदेशों से बंधी नहीं है, बल्कि यह प्रकृति से बंधी है. यह शांति का अग्रदूत है. यह पूरी मानवता की है जो इससे लाभान्वित होती है."
बिलावल भुट्टो ने कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद का निर्यात नहीं कर रहा है, बल्कि वह स्वयं आतंकवाद का शिकार है.
उन्होंने कहा, "मैं पाकिस्तानी जनता और दुनिया को बताना चाहता हूं कि इस अपराध (पहलगाम हमला) में पाकिस्तान का कोई हाथ नहीं है."
हालांकि भारत ने 22 अप्रैल को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए हमले के लिए पाकिस्तान को ज़िम्मेदार ठहराया है.
हालांकि इससे पहले भी सिंधु जल संधि को लेकर बिलावल भुट्टो ने बयान दिया था जिस पर भारत ने तीख़ी प्रतिक्रिया दी थी.
केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने बिलावल भुट्टो को अपना 'मानसिक संतुलन चेक करा लेने' की सलाह दी थी और संभल कर बयान देने को कहा था.

पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री ने कहा कि भारत सरकार ग़ैरज़िम्मेदाराना व्यवहार कर रही है और पाकिस्तानी राष्ट्र ने डर में जीना नहीं सीखा है.
बिलावल भुट्टो ने कहा, "किसी को यह ग़लतफ़हमी नहीं होनी चाहिए कि सहिष्णुता हमारी कमज़ोरी है. पाकिस्तानी सशस्त्र बल हमेशा सतर्क, दृढ़ और तैयार रहते हैं. हमारा आसमान सुरक्षित है, हमारी सीमाएं मजबूत हैं और हमारा देश कराची से खैबर और लाहौर से लरकाना तक एकजुट है."
बिलावल भुट्टो ने कहा कि पाकिस्तान इस नदी की रक्षा न केवल अपने लिए करेगा, बल्कि उस सभ्यता की याद में भी करेगा जो इस कटुता से कहीं अधिक पुरानी है.
उन्होंने कहा, "इस नदी को हथियार के रूप में इस्तेमाल करना हमारे साझे अतीत के साथ विश्वासघात है. आप नदी का रुख़ मोड़ सकते हैं, लेकिन हमारी इच्छाशक्ति को नहीं सुखा सकते. सिंधु नदी में बहने वाली हर बूंद में हमारे किसानों का साहस, हमारे मज़दूरों का पसीना और अल्लाह की कृपा है."
उन्होंने कहा, "हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि नदियों के साथ क्या बहता है. सिंधु नदी सिर्फ़ एक नदी नहीं है, यह हमारी सभ्यता का उद्गम स्थल है. मोहनजोदड़ो और हड़प्पा, दिल्ली के उदय, साम्राज्यों की स्थापना और सीमा रेखाएं खींचे जाने से पहले से अस्तित्व में थे."
उन्होंने कहा, "दोनों देशों के लोग सिंधु घाटी सभ्यता से ताल्लुक रखते हैं. मानव विकास की पहली झलक यहीं मिलती है. इस सभ्यता ने शहरी नियोजन, सिंचाई, कृषि, व्यापार और संचार को जन्म दिया. यह सभ्यता बांटती नहीं, जोड़ती है."
संघीय सूचना मंत्री अताउल्लाह तरार ने कहा, "जब 1965 का युद्ध हुआ था, तो विपक्षी नेता के दादा जनरल अयूब खान ने कहा था कि दुश्मन को यह नहीं पता कि उसने किस देश को चुनौती दी है. आज मैं किसी नेता को बुरा या अपने नेता को अच्छा नहीं कहूंगा. आज केवल पाकिस्तान पर चर्चा होगी. मैं नहीं चाहता कि भारतीय मीडिया को इस सदन से वे क्लिप मिलें जिनमें वे हमें लड़ते हुए दिखाते हैं."
अताउल्लाह तरार ने कहा, "इमरान ख़ान किसी भी अन्य राजनीतिक नेता की तरह ही अच्छे हैं. हम बाद में आपस में लड़ेंगे. यह एक आवाज बनने का समय है. दुश्मन चालाक और दुर्भावना से ग्रसित है. उन्होंने पहलगाम जैसी जगह पर झूठा अभियान चुना, जो पाकिस्तानी सीमा से सौ किलोमीटर दूर है."
संघीय सूचना मंत्री ने कहा कि पहलगाम घटना के 10 मिनट बाद दर्ज मामले में कहा गया है कि यह हमला सीमा पार बैठे आकाओं के इशारे पर किया गया था, जबकि पुलिस डेढ़ घंटे बाद घटनास्थल पर पहुंची थी.
अताउल्लाह तरार ने राहत इंदौरी का शेयर पढ़ते हुए पूछा, "क्या सीमा पर तनाव है?" उन्होंने भारतीय राज्य बिहार में होने वाले चुनावों का भी ज़िक्र किया.
पीएम शहबाज़ शरीफ़ आईएसआई मुख्यालय गएइस बीच, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने मंगलवार को इंटर सर्विस इंटेलिजेंस (आईएसआई) के मुख्यालय का दौरा किया.
प्रधानमंत्री शरीफ़ के साथ उपप्रधानमंत्री, विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री और सेना प्रमुख भी थे.
बीबीसी उर्दू के मुताबिक पीएमओ की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि इस दौरान वर्तमान सुरक्षा माहौल पर विस्तृत जानकारी दी गई, जिसमें पाकिस्तान की पूर्वी सीमा पर भारत के बढ़ते आक्रामक और उत्तेजक रुख़ के मद्देनज़र पारंपरिक ख़तरों से निपटने की तैयारियों पर विशेष ध्यान दिया गया.
बयान के अनुसार, "नेतृत्व को क्षेत्रीय सुरक्षा घटनाक्रमों और बढ़ते ख़तरे की संभावनाओं के बारे में जानकारी दी गई."
भारत ने उठाया था क़दमपहलगाम हमले के बाद 23 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी (सीसीएस) की बैठक हुई थी.
इस बैठक में कई अहम फ़ैसले लिए गए थे, जिसमें पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया गया. इसके साथ ही अटारी बॉर्डर को भी बंद करने का फ़ैसला किया गया.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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