राजस्थान की राजनीति में नरेश मीणा एक बार फिर सुर्खियों में हैं। झालावाड़ स्कूल हादसे के पीड़ितों के परिवारों को मुआवज़ा देने की मांग को लेकर जयपुर स्थित शहीद स्मारक पर चल रहा उनका धरना एक नए मोड़ पर पहुँच गया है। प्रशासन ने उन्हें शहीद स्मारक खाली करने का आदेश दिया है। धरने के दौरान नरेश मीणा ने सरकार को चेतावनी दी कि वह गांधी बनकर विरोध कर रहे हैं, लेकिन ज़रूरत पड़ी तो भगत सिंह बनने से भी नहीं हिचकिचाएँगे।
नरेश मीणा ने कहा कि वह शहीद स्मारक नहीं छोड़ेंगे
प्रशासन ने शहीद स्मारक पर लगभग छह दिनों से चल रहे धरने को हटाने का आदेश दिया है। मीणा ने कहा, "मैं हार नहीं मानूँगा; मैं लड़ रहा हूँ और आखिरी साँस तक लड़ता रहूँगा। लेकिन मैं शहीद स्मारक नहीं छोड़ूँगा, चाहे पुलिस सरकार की तरफ़ से कुछ भी कहे; यह उनका काम है।" मीणा ने यह भी कहा कि आगे जो भी होगा उसके लिए वसुंधरा राजे और उनके बेटे दुष्यंत ज़िम्मेदार होंगे।
जानें, नरेश मीणा क्यों धरने पर हैं
यह घटना झालावाड़ जिले के मनोहर थाना क्षेत्र के पिपलाड़ी गाँव में हुई, जहाँ एक सरकारी स्कूल की छत गिरने से सात बच्चों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। सरकार द्वारा मृतकों के लिए उचित मुआवज़ा न दिए जाने से नाराज़ नरेश मीणा ने शहीद स्थल पर धरना दिया। उन्होंने भजनलाल सरकार से मृतकों के परिवारों को 50 लाख रुपये की सहायता राशि देने की माँग की।
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