राजस्थान में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने एक बार फिर बड़ी कार्रवाई की है। ACB की टीम ने नगर परिषद कार्यालय में छापा मारकर 5 लोगों को 3 लाख रुपये से ज्यादा की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। बताया जा रहा है कि ACB ने एक महिला AEN अधिकारी को रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है। जबकि उसके साथ 4 और कर्मचारी रिश्वतखोरी के मामले में फंस गए हैं। जबकि सबसे बड़ी बात यह है कि इस मामले में नगर परिषद आयुक्त को भी संदिग्ध नजरों से देखा जा रहा है। ऐसे में ACB आयुक्त से भी पूछताछ कर रही है। दरअसल, भरतपुर ACB की टीम ने धौलपुर नगर परिषद कार्यालय में बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है। महिला AEN समेत पांच कर्मचारियों को 3 लाख 10 हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया है। बताया जा रहा है कि ठेकेदार से बिल पास कराने की एवज में रिश्वत मांगी जा रही थी।
40 लाख रुपये के बिल के लिए रिश्वत की मांग
भरतपुर ACB के ASP SP अमित कुमार ने बताया कि सरकारी ठेकेदार ने ACP कार्यालय भरतपुर में शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि धौलपुर नगर परिषद कार्यालय में कार्यरत एईएन प्रिया, वरिष्ठ सहायक भरत कुमार, वरिष्ठ सहायक नीरज, संविदाकर्मी हरेंद्र और ड्राइवर देवेंद्र बरसाती पानी की निकासी का बिल पास करने की एवज में अलग-अलग तरीकों से रिश्वत मांग रहे थे। उन्होंने बताया कि ठेकेदार का बिल करीब 35 से 40 लाख रुपये का था। ठेकेदार को पिछले 1 साल से परेशान किया जा रहा था। ठेकेदार की शिकायत मिलने के बाद मामले का गोपनीय तरीके से भौतिक सत्यापन कराया गया। भौतिक सत्यापन में मामला सही पाए जाने पर एसीबी की टीम ने गुरुवार को नगर परिषद कार्यालय में छापा मारकर पांच कर्मचारियों को 3 लाख 10 हजार की राशि के साथ रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया।
आयुक्त की भूमिका की जांच
एएसपी ने बताया कि इस मामले में नगर परिषद आयुक्त अशोक शर्मा की भूमिका संदिग्ध लग रही है। आयुक्त से भी पूछताछ की जा रही है। भौतिक सत्यापन में आयुक्त अशोक शर्मा का नाम भी सामने आया है। फिलहाल, एडिशनल एसपी ने बताया कि इस मामले की बारीकी से जांच की जा रही है। जांच के बाद आरोपियों को कोर्ट में पेश किया जाएगा।
पिछले साल बरसाती पानी की निकासी कराई गई थी। वर्ष 2024 में शहर में जलभराव के हालात थे। शहर की लगभग दो वर्षा कॉलोनियाँ पानी की चपेट में आ गई थीं। उस समय सरकारी ठेकेदार को जल निकासी का टेंडर दिया गया था। ठेकेदार ने शहर से पानी की निकासी भी करवा दी थी। लेकिन नगर परिषद के कर्मचारी काम होने के बावजूद ठेकेदार का बिल पास नहीं कर रहे थे।
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