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अनूपगढ़ के रावला मंडी में नहर में डूबे युवक का शव 16 घंटे बाद मिला, इलाके में फैला शोक

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राजस्थान के अनूपगढ़ जिले के रावला मंडी इलाके में इंदिरा गांधी नहर में डूबे 20 वर्षीय युवक विजेंद्र की तलाश बुधवार दोपहर आखिरकार खत्म हो गई। तकरीबन 16 घंटे की खोजबीन के बाद विजेंद्र का शव गांव 365 हेड के पास नहर में तैरता हुआ मिला। इस दर्दनाक घटना से पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई है।

मंगलवार शाम को नहर में बह गया था विजेंद्र

प्राप्त जानकारी के अनुसार, मंगलवार की शाम विजेंद्र किसी कारणवश इंदिरा गांधी नहर में गिर गया था। प्रत्यक्षदर्शियों ने उसे नहर में बहते हुए देखा, लेकिन बहाव तेज होने के कारण वह कुछ ही पलों में नजरों से ओझल हो गया। घटना की सूचना मिलते ही परिजन और ग्रामीण मौके पर पहुंचे और रावला पुलिस को भी सूचित किया गया।

लगातार चल रही थी तलाश

रातभर विजेंद्र की तलाश की जाती रही। प्रशासन और स्थानीय लोगों की मदद से सर्च ऑपरेशन चलाया गया। लेकिन अंधेरे और तेज बहाव के चलते रात में तलाश अभियान को अस्थायी रूप से रोकना पड़ा था। बुधवार सुबह होते ही एक बार फिर खोजबीन शुरू की गई।

किसान ने देखा शव, पुलिस को दी सूचना

बुधवार दोपहर को गांव 365 हेड के पास एक किसान ने नहर में एक शव को तैरते हुए देखा। उसने तुरंत रावला पुलिस को इसकी जानकारी दी। पुलिस मौके पर पहुंची और शव को बाहर निकाला गया। बाद में परिजनों ने उसकी पहचान 20 वर्षीय विजेंद्र के रूप में की।

शव पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया

पुलिस ने शव को रावला के अस्पताल की मॉर्चरी में रखवाया है, जहां पोस्टमार्टम की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। इसके बाद शव परिजनों को सौंप दिया जाएगा। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि यह हादसा कैसे हुआ—क्या विजेंद्र नहर में नहाने गया था या फिर यह कोई अन्य कारण था।

गांव में पसरा मातम

विजेंद्र की मौत से उसके परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। वह अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था और परिवार की आर्थिक जिम्मेदारियां भी उसी पर थीं। गांव में हर कोई इस हादसे से गमगीन है और परिजनों को सांत्वना देने के लिए लोग उनके घर पहुंच रहे हैं।

प्रशासन से उठी सुरक्षा की मांग

इस घटना के बाद ग्रामीणों ने नहर के किनारे सुरक्षा उपायों की मांग की है। उनका कहना है कि नहर के आसपास कोई चेतावनी बोर्ड या बैरिकेडिंग नहीं होने के कारण ऐसे हादसे होते हैं। प्रशासन को इस दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।

विजेंद्र की असमय मौत ने न केवल उसके परिवार को, बल्कि पूरे गांव को गहरे दुख में डुबो दिया है। ग्रामीणों की यही प्रार्थना है कि ईश्वर परिवार को इस कठिन समय में संबल प्रदान करे।

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